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Monday 29 March 2021

Ras in Hindi - रस की परिभाषा , भेद व प्रकार उदाहरण सहित hindi grammer

 Ras in Hindi - रस की परिभाषा , भेद व प्रकार उदाहरण सहित hindi grammerRas in Hindi - रस की परिभाषा , भेद व प्रकार उदाहरण सहित hindi grammer

 रस

परिभाषा - किसी काव्य या साहित्य को पढ़ने , सुनने या देखने से पाठक , श्रोता या दर्शक को जिस आनंद की अनुभूति होती है। उसे रस कहते हैं।

संधि की परिभाषा और भेद उदाहरण सहित


रस के चार भेद होते हैं -

1 . स्थायी भाव

2 . विभाव

3 . अनुभाव

4 . संचारी भाव


1 . स्थायी भाव - सहृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूपे से विद्यमान रहते है। उसे स्थायी भाव कहते है इनकी संख्या 10 है ।

रस स्थायी भाव
श्रृंगार रस रति या प्रेम
हास्य रस हास या हँसी
करूण रस शोक
रौद्र रस क्रोध
वीर रस उत्साह
भयानक रस भय
वीभत्स रस घृणा या जुगुप्सा
अद्भुत रस विस्मय
शांत रस निर्वेद या वैराग्य
वात्सल्य रस वात्सल्य या स्नेह


2 . विभाव - स्थायी भावो से उत्पन्न होने के कारणों को विभाव कहते है। इनके दो भेद है-

1 . आलंबन

2 . उद्दीपन


3 . अनुभाव - आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाओं को अनुभाव कहते है।


4 . संचारी भाव - आश्रम के चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकारो को संचारी भाव कहते हैं। इनकी संख्या 33 मानी जाती है।

हर्ष मोह
मति ग्लानि
अवहित्था गर्व
शंका विशाद
अपस्मार आलस्य
अमर्श दैन्य
त्रास निंदा
वितर्क चपलता
मद जड़ता
दीनता बिबोध
आवेग उग्रता
व्याधि असूया
श्रम लज्जा
सन्त्रास चित्रा
धृति चिंता
स्मृति उतसुकता
मरण स्वन्प
उन्माद

महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर

रसों की परिभाषा उदाहरण सहित

1. श्रृंगार रस -

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित रति नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे श्रृंगार रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य में स्त्री पुरूष के प्रति प्रेम हो उस काव्य में श्रृंगार रस होता है।

श्रृंगार रस के भेद - 

1 . संयोग श्रृंगार 

2 . वियोग श्रृंगार


1 . संयोग श्रृंगार - इसमें नायक - नायिका के मिलन का वर्णन होता है।

उदाहरण - 

राम को रूप निहारति जानकी ,

कंगन के नग की परछाहीं ।

यातो सबै सुधि भूल गई ,

कर टैकि रही पल टारत नाही ॥


समास किसे कहते हैं उसके प्रकार उदाहरण सहित


2 . वियोग श्रृंगार - इसमें नायक नायिका के विरह का वर्णन होता है।

उदाहरण - 

हे खग - मृग हे मुधकर श्रेनी

तुम देखी भीता मृग नैनी ॥


2 . हास्य रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित हास (हँसी) नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे हास्य रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें हँसी आये उस काव्य में हास्य रस होता है।

उदाहरण - 

जब धूम - धाम से जाती है बारात किसी कि सजधज कर ।

मन कहता धक्का दे दूँ दूल्हे को जा बैठूँ घोड़े पर ।

सपने मै ही मुझको अपनी , शादी होती दिखती है ।

वरमाला ले दुल्हन बढ़ती , बस नींद तभी खुल जाती है।


3 . करूण रस -

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित शोक ( दु : ख ) नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे करूण रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें शोक अर्थात् दुःख हो उस काव्य में करूण रस होता है।

उदाहरण - 

अभी तो मुकुट बंधा था माथ ,

कल ही हुए हल्दी के हाथ ।

हाय! रुक गया यहीं संसार ,

बना सिंदूर अनल अंगार ॥


4 . रौद्र रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे रौद्र रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें क्रोध आये उस काव्य में रौद्र रस होता है।

उदाहरण -

श्री कृष्ण के सुन वचन ,

अर्जुन क्रोध से जलने लगे ।

सब शोक अपना भूलकर ,

करताल - युगल मलने लगे ।।


5 . वीभत्स रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित जुगुप्सा अर्थात् घृणा नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे वीभत्स रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें घृणा हो उस काव्य में वीभत्स रस होता है।

उदाहरण - दुर्गन्ध का गुब्बारा ,

गंदगी का आबारा ।

महा नगरी जगमग का ,

विक्रत उपहास ॥


6 . भयानक रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे भयानक रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें भय हो उस काव्य में भयानक रस होता है।

उदाहरण - 

देखे जब बारात में ,

भूत - प्रेत शिव ब्याल ।

थर - थर काँपे नारी - नर ,

भाग चले सब बाल ।।


7 . अद्भुत रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित विस्मय ( आश्चर्य ) नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे अद्भुत रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमें विस्मय अर्थात् आश्चर्य हो उस काव्य में अद्भुत रस होता है।

उदाहरण - 

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।

कर बिनु कर्म करै विधि नाना ॥


8 . वीर रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे वीर रस कहते हैं ।


परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमारे मन में उत्साह अर्थात् उमंग हो उस काव्य में वीर रस होता है।

उदाहरण - 

वह खून कहो किस मतलब का,

जिसमे उबाल का नाम नहीं ।

वह खून कहो किस मतलब का,

जो आ सके देश के काम नहीं ॥


9 . शांत रस

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित निर्वेद नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे शांत रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमारे मन में वैराग उत्पन्न हो उस काव्य में शांत रस होता है।

उदाहरण - 

राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट ।

अंतकाल पछतायेगा , जब प्राण जायेंगे छूट ॥


10 . वात्सल्य रस -

परिभाषा - 1 : सहृदय के हृदय में स्थित वात्सल्य नामक स्थायी भाव का जब विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है। तब उसे वात्सल्य रस कहते हैं ।

परिभाषा - 2 : जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से हमारे मन में वात्सल्य अर्थात् पुत्र प्रेम उत्पन्न हो उस काव्य में वात्सल्य रस होता है।

उदाहरण -

मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो ।

ख्याल परे सब सखा मिली मेरे मुख लपटायों ।।


पर्यायवाची शब्द


स्थायी भाव और संचारी भाव मे अंतर -


स्थायी भाव संचारी भाव
1. मनोगत स्थिर भावों को स्थायी भाव कहते हैं।  1. मनोगत अस्थिर भावों को संचारी भाव कहते हैं।
2 . स्थायी भावों की संख्या 10 होती है। 2 . संचारी भावों की संख्या 33 होती है।
3 . स्थायी भाव अधिक समय तक रहते हैं।  3 . संचारी भाव कम समय तक रहते हैं। 
4 . एक रस का एक ही स्थायी भाव होता है।  4 . एक रस के कई संचारी भाव होते हैं।



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